वार्ताकारों ने शाहीन बाग पहुंचकर की बातचीत, प्रदर्शनकारियों ने दिया ये बड़ा जवाब

नयी दिल्ली,  नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में पिछले दो माह से अधिक समय से जारी विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों  से मिलने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पहुंचे। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकोरों को टका सा जवाब दिया।


शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से मुलाकात के बाद वार्ताकार वरिष्ठ वकील साधना रामचंद्रन ने कहा “हमने आज यहां माताओं, बहनों और नागरिकों से पहली मुलाकात की। बहुत अच्छा लगा। बात तो पूरी हो नहीं पाई, बातचीत की आज शुरूआत ही हुई है। वह चाहते हैं कि हम कल दोबारा आए, हम कल दोबारा आएंगे।”


उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के शुरुआत में यह स्पष्ट किया कि वह इस मामले में कोई फ़ैसला सुनाने यहां नहीं पहुंचे हैं बल्कि बातचीत के ज़रिये मामले को सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे पहले जब वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से पूछा कि रास्ता कैसे खुलेगा, तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता है, तब तक हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे, फिर चाहे कोई हम पर गोलियां ही क्यों न बरसाए।   फिलहाल उन्होने कालिंदी कुंज सड़क से हटने से इन्कार किया है।


प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन पर देशद्रोही होने का आरोप लगाया जा रहा है। कुछ लोग उनको गोली मारना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह देशद्रोही नहीं हैं, बल्कि देशभक्त हैं। हमने देश को आजाद कराने में अंग्रेजों से लोहा लिया है।


प्रदर्शन में शामिल सबसे बुजुर्ग तीन दादियों ने कहा कि संविधान हम सबका है और उसकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। संविधान की रक्षा के लिए ही दो महीने से सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं।


उन्होंने कहा प्रदर्शन मात्र 150 मीटर सड़क पर चल रहा है बाकी सड़क को तीन जगहों से पुलिस ने रोककर आवागमन अवरुद्ध कर रखा है। पहले पुलिस वाले तीन जगह से सड़क खोले तो आवागमन सुचारू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक सड़क से हटने का सवाल है तो जब तक सीएए वापस नहीं होगा हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।


एक अन्य महिला ने वार्ताकारों से कहा कि इस कानून के खिलाफ पिछले दो महीने से भी अधिक दिनों से यहां संघर्ष जारी है यदि उनकी बातों को नहीं माना गया तो यहां से हटने के बाद उनकी कौन सुनेगा। सरकार प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने के लिए हर हथकंडे अपना रही है लेकिन कामयाबी नहीं मिली है तो अब सड़क बंद होने से लोगों को होने वाली असुविधा का बहाना बनाकर हटाना चाहती है।


उन्होंने कहा कि यहां से कभी-कभी स्कूल बसों को निकलने का रास्ता दिया जाता है और एम्बुलेंस लिए हमेशा रास्ता खोल दिया जाता है।


प्रदर्शनकारियों की ओर से एक-एक करके अपनी बातें रखी जा रही है और वार्ताकार उनसे बीच में सवाल कर रहे हैं ताकि किसी समाधान पर पहुंच सकें। इससे पहले श्री हेगड़े और श्रीमती रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर मौजूद लोगों को अदालत का फ़ैसला पढ़कर सुनाया। उन्होंने बताया कि वह किस हैसियत से शाहीन बाग़ में लोगों से बात करने पहुँचे हैं।


उन्होंने प्रदर्शनकारियों को यह भी बताया कि ‘पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बहस करने के इच्छुक हैं और वह आप लोगों की आवाज़ उठाना चाहते हैं।’


श्रीमती रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर मौजूद लोगों से कहा कि जिस तरह आप लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, उसी तरह यहाँ के अन्य लोगों को भी अपने काम पर जाने, यहाँ से आने-जाने का अधिकार है। इसलिए हमें सोचना होगा कि अपने अधिकारों के लिए हम किसी के अधिकारों को दरकिनार न करें।


इस प्रदर्शन की वजह से दक्षिणी दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले कालिंदी कुंज सड़क दो महीने से अधिक दिनों से बंद है जिससे स्थानीय लोगों समेत यहाँ से गुज़रने वाले राहगीरों को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।